
उत्तर प्रदेश का बलिया जिला अब सिर्फ आज़ादी की लड़ाई के लिए नहीं, बल्कि कच्चे तेल के नए भंडार के लिए भी जाना जा सकता है। जी हां, बलिया के सागरपाली गांव के रट्टूचक इलाके में ONGC (Oil and Natural Gas Corporation) ने तेल की खोज के लिए खुदाई शुरू कर दी है — और संकेत बड़े ही उत्साहजनक हैं।
कहां हो रही है खुदाई?
ओएनजीसी की टीम ने स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडेय के खेत, कुल 6.5 एकड़ जमीन पर सर्वे और खुदाई शुरू की है। तीन साल के किराए पर ली गई जमीन पर अब दिन-रात खुदाई का काम चल रहा है। बताया जा रहा है कि 3000 मीटर की गहराई पर कच्चे तेल का भंडार छिपा हो सकता है।
खुदाई में हो रहा है हर दिन 25,000 लीटर पानी का इस्तेमाल
यह कोई मामूली काम नहीं। हर दिन इस ड्रिलिंग के लिए 25,000 लीटर पानी का उपयोग हो रहा है। काम की रफ्तार देखकर ONGC का दावा है कि अप्रैल के अंत तक बोरिंग पूरी हो जाएगी, और शुरुआती संकेत बहुत ही सकारात्मक हैं।
गांववालों के लिए ‘तेल’ बना वरदान
ONCG की टीम के आने के बाद गांव की फिजा ही बदल गई है। किसान जो कभी अपनी ज़मीन बेचने को तैयार थे, अब उसे “धरती का सोना” मान रहे हैं। गांव में चर्चा है कि अगर चित्तू पांडेय के खेत में तेल निकला, तो पूरे बलिया की किस्मत बदल जाएगी।
“जिन खेतों में कभी हल चलते थे, अब वहीं से तेल निकलने की उम्मीद है।”
– एक स्थानीय किसान
तेल की खोज का इतिहास: असम से बलिया तक
भारत में पहली बार 1889 में असम के डिगबोई में तेल का कुआं मिला था। अगर बलिया के इस गांव में भी तेल मिलता है, तो यह गंगा बेसिन को एनर्जी मैप पर एक नया मुकाम देगा।
क्या कहती है ONGC?
ONGC का कहना है कि यह गंगा बेसिन में ऊर्जा स्रोतों की नई खोज का एक हिस्सा है। अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो बलिया भारत की नई एनर्जी हब बन सकता है।
खेत से फसल नहीं, अब कच्चा तेल निकलेगा!
बलिया के सागरपाली गांव में ONGC की खुदाई न केवल तेल की खोज है, बल्कि गांववालों की उम्मीदों, सपनों और संभावनाओं की भी खुदाई है। अगर तेल निकला, तो यह गांव नक्शे में सिर्फ एक बिंदु नहीं, बल्कि देश की ऊर्जा क्रांति का केंद्र बन सकता है।